Tuesday, September 9, 2014

देश का कैसे होगा सुधार
जब नेता बस ताने है आलोचना की तलवार 
विकास को कैसे बनाए मुद्दा 
जब नज़रो में है केवल सत्ता 
दोषारोपण के इस दौर में
मन में सबके बैर है 
कस रहा वह ही कटाक्ष है
दामन में खुद जिसके दाग है
उन्नति की बदली है परिभाषा 
स्वयं को उठाने के लिए दूजे को है गिराना 

जहाँ बन रहे है सभी समीक्षक 
वहां कैसे बने कोई प्रगति का उत्प्रेरक ॥ 

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