Friday, May 16, 2014

इस बार की सरकार

जो अब तक था केवल संवाद में
कल हो जाएगा यथार्थ में
बदलाव की आवश्यकता से
अभिज्ञता का विजयोल्लास है
ये प्रतीक्षित परिणाम
उन्नति का उत्तरदायित्व हो
स्पर्धा न हो किसी से अब
मित्रता हो प्रगति से अब
स्पष्टता  और निष्ठां
से नए भविष्य का निर्माण हो

और इस निर्णय से किसी की न हार हो ।



Wednesday, May 14, 2014

छोटे छोटे रास्तो की मंजिल कहीँ दूर है
दबी हुई आहटो मे भी कोई  शोर है 
शाम ऐसे चल रही जैसे भोर यहीं पास है 
पुरानी कहानी मे जैसे जुड़ रही नई डोर है 
धुँधला रहे कुछ पन्ने मिट रहे कुछ किस्से 
बुन रहे कुछ सपने बन रहे कुछ अपने
कुछ सहमी कुछ सकुचि कुछ ठिठकी
कुछ हंसती कुछ खिलखिलाती
आशाओ का यह  दौर है 

आरम्भ था कही और अन्त कहीँ और है ।