Thursday, December 26, 2013

Sometimes between hope and despair
Sometimes between tears and laughter
Sometimes in disappointments and failures
Sometimes in happiness and excitement
Sometimes in friendship and love
Sometimes in hatred and resentment
Tiring wait and endless Faith
Finally this year has also come to an end
And I wish love and success for all :) :) 

Wednesday, December 11, 2013

...

सियासत का खेल कुछ ऐसा पलटा 
आम आदमी का भी सितारा चमका 
अब आम भी हो गया है कुछ ख़ास 
पर  ख़ास को कुछ आया नहीं ये रास 
झाड़ू कि भी अब कुछ बात है 
जमीन से ज्यादा अब हवा में तैनात है 
राजनीति  के दंगल में 
गूँज रहा एक ही विजय नाद है 
आज आम आदमी के हाथ में  भी आ रही कमान है 
आम को भी मिल रही अब पहचान है !!!

Saturday, September 28, 2013


J.W.Marriot एक पांचसितारा होटल जिसकी २४ मंजिल से पूरे  पुणे शहर का मनमोहक दृश्य हृदय को अभिभूत करता है.। एक  रात वहां  बैठे हुए जब शीतल  हवा वातावरण को और भी मंत्रमुग्ध कर रही थी , मेरी नज़र बार बार नीचे एक झोपड़पट्टी पर ही रुक रही थी।
न जाने क्यों उस समय दूर से दिख रहे उस झोपड़पट्टी में रह रहे लोगो में मुझे उस शांति का एहसास हुआ   जो उस वक़्त मेरे आस पास बैठे लोग जो हर रूप में संपन्न दिख रहे थे उनके जीवन में नहीं दिखा। और मैं   इसी सोच में पड गई  , जीवन का लक्ष्य २८  मंजिल पर   बैठ कर  लोगो के जीवन के  खोकले पन को  महसूस करना तो नहीं था । उस दिन पता नहीं क्यूँ   साईंकल पर बैठा एक व्यक्ति मुझे सबसे धनवान प्रतीत हुआ।
कभी कभी लगता है वो मनुष्य ज्यादा  सुखी है जिसे अभी आधुनिकता ने छुआ नहीं है।
इस नवीनता की बाड़ में जो मुर्ख बहा नहीं है शायद वही सबसे समझदार है।  इस भेडचाल में भी जिसने खुद को सइयत्त किए हुआ है वही सही अर्थो में जीवन प्रवाह कर रहा है। जिसके लिए कोई वास्तु तभी ज्यादा मूल्यवान नहीं होती जब वो दुसरे के पास हो , उसे हर बात और वास्तु का मोल  आरंभ से ज्ञात होता है।
उंचाई पर पहुचने का महत्व भी तभी है जब उस सफ़र को तय करने में इन्सान खुद को न हार जाए।
:) :) :) :)






Saturday, July 27, 2013

Plight of Nomadic and De-notified Tribes

http://www.youtube.com/watch?feature=player_embedded&v=w8cZ2iJARPM
Franklin Templeton Investments partnered the TEDxGateway Mumbai in December 2012.

वो आज भी जूझ रहे है एक  पहचान  के लिए
अपने  सम्मान और अस्तित्व  के लिए
न व्यव्हार है न ही रहा व्यापर है
इस आधुनिकता ने छीना इनका संसार है

बिना दोष के  ही दंड ये भोग  रहे है
कही भीख माँग कही देह बेच
ये जीवन  अपना काट रहे है
आसुओ से ही सपनो को अपने अब  सींच रहे है

लाचार है विवश है
घुमंतू जाती होने का यह दाम है
शिक्षा पाने के लिए भी  यहाँ संघर्ष  है
न सर  के ऊपर छत न पैरो क नीचे जमीन है

कष्टों से भरे इनके जीवन कों
जगत से बस अपने लिए स्वीकृति का अनुमोदन है
हमारे ही समाज का ये अंग  है
स्थिरता इनका भी अधिकार है