Thursday, October 20, 2011

रंग

जितने रंग है इन्द्रधनुष के
उससे भी ज्यादा रंगों में है इन्सान  यहाँ |

फासला बस एक समझ का है
न कोई सही न कोई गलत यहाँ |

विश्वास जो जीत सके
वही अपना  है यहाँ |

विचारधारा किसी की
कभी मिलती है कहा |

सोच सबकी इतनी
जुदा सी है |

जीने का अंदाज़ भी
इतना नया सा है |

उचित अनुचित
कुछ भी नहीं है यहाँ |

अगर इक दूजे के लिए
दिल में सही है वजह |

Sunday, October 16, 2011

कुछ नई पंक्तिया

1.हर एक गम का किनारा नहीं होता
   हर तरफ ख़ुशी का नज़ारा नहीं होता
   बीत जाए ये लम्हे कुछ ये दुआ है हमारी
   क्यूंकि हर बार वक़्त हमारा नहीं होता


2.जिंदगी ने जिसको जो जमीन बाटी
   उसको वही रास न आई
   जिसका जो सपना था
   वो किसी और ने ही जिया
   राहें तो कभी मेरी भी मुश्किल न थी
   फिर रास्ता तेरा ही क्यूँ हमेशा असान लगा


3.कुछ ख्वाब  जो   पलको की खिड़की से है झांकते
   कुछ सिसकियो  जो आवाज़ का दामन ही नहीं है थामती
   कुछ दायरे जो दायरों में ही नहीं है सिमटते
   कुछ खामोशियाँ जो आइने से  है ताकती




  

Saturday, October 15, 2011

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ये उड़ान आसमान  को छूने की नहीं
अपने पंख फ़ैलाने की एक कोशिश   है
ये बदलाव प्रगति के लिए नहीं
स्थिरता को पाने की एक उम्मीद है
ये दौड़ समय से आगे निकलने की नहीं
समय के बीच  में बहने की एक कामना  है
एक इच्छा है
बिखरे हुए पलो को समेटने की
एक अभिलाषा है
पलको पर रखे हुए सपनो को जीने की
एक आशा है
इन सपनो की उड़ान भरने की