Thursday, October 20, 2011

रंग

जितने रंग है इन्द्रधनुष के
उससे भी ज्यादा रंगों में है इन्सान  यहाँ |

फासला बस एक समझ का है
न कोई सही न कोई गलत यहाँ |

विश्वास जो जीत सके
वही अपना  है यहाँ |

विचारधारा किसी की
कभी मिलती है कहा |

सोच सबकी इतनी
जुदा सी है |

जीने का अंदाज़ भी
इतना नया सा है |

उचित अनुचित
कुछ भी नहीं है यहाँ |

अगर इक दूजे के लिए
दिल में सही है वजह |

2 comments:

  1. my favourite :"उचित अनुचित
    कुछ भी नहीं है यहाँ |


    अगर इक दूजे के लिए
    दिल में सही है वजह |"

    this rhymes a lot with my post on 'black and white'...keep it up!

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