Friday, December 31, 2021

नया साल

जो यह  मौसम बदलते है
जो यह नए साल जुड़ जाते  है 

पुरानी कहानिओ को फिर 
शुरुआत से तो बताते है 
एक उत्साह तो नया लाते है 

ताज़गी के अहसास से फिर 
उम्मीद की सुगंध  तो फैलाते है 
एक जज़्बा तो नया जगाते है 

धूमिल हो रहे प्रणो को फिर 
बुलंदी पर तो पहुंचाते है 
ख़ुशी मानाने का बहाना तो नया दे जाते है 

जब यह मौसम बदलते है 
जब यह साल नए जुड़ जाते है 




Friday, May 14, 2021

प्रथम पृष्ठ

आज जन्मदिवस कुछ सपनो का है 
कुछ रिश्तो का है ,कुछ उमंगो का है 
एक माँ का है और एक पिता का है 
इस वर्ष से बदल गए हर मौसम के एहसास 
कुछ अधिक रोशन हुए सभी त्यौहार 
इस दिन एक नवजीवन का हुआ आगमन 
और आई खुशिओ की बौछार   

गतवर्ष ने मातृत्व और पितृत्व के भावो से मिलवाया 
और इन् भावो को जीवन का गहरा सम्बन्धी बनाया
इतने निर्मल मनोभावों को जो समक्ष पाया 
एक ही पल ने मन को कितना निर्बल और सबल बनाया
अन्वय के बालपन ने एक नया उत्साह जगाया 
और नए दृष्टिकोण से परिचय करवाया  
इस नन्ही मुस्कान ने कितना सामर्थ्य पाया 
मंत्र मुग्ध करने की कला से सभी को अपना बनाया  

प्रथम जन्मदिवस ने जन्म की स्मृतियों की एक रील चलाई
और समय के पंख लगाकर उड़ जाने की फिर बात उठाई 


Wednesday, December 2, 2020

इस वर्ष का नया अंदाज़ हुआ 

थोड़ी कोरोना की मार और अपरिमित नव जीवन का उल्लास हुआ 

रिश्तो के समीकरण में बदलाव हुआ 

पत्नी और पति को अब माता पिता के कर्तव्यों का आभास हुआ 


नूतन जिम्मेदारियो के समक्ष 

सम्बन्ध अधिक गहरा हुआ 

जड़ से मजबूत वृक्ष में 

फल भी अत्यंत  मीठा हुआ 


खुशियों की किलकारियों से रंगीन 

छठी वर्षगांठ का यह उत्सव हुआ 










अन्वय

तू कुछ कुछ है हम दोनों सा बन रहा हमारा हृदय 

तू है प्रतिरूप दो परिवारों का यह तेरा परिचय 

तू रहे भावपूर्ण चाहे बीते जितना समय 

तू हो ऐसे व्यव्हार से बना सदा हो जिसमे विनय 


तू है हमारा अन्वय



Friday, December 6, 2019

हैप्पी Five

पाँच वर्षो के राग को
पाँच पंक्तियों में व्यक्त करना मुमकिन नहीं
लेकिन शब्दों की माला से उम्दा
कुछ भावो की अभिव्यक्ति नहीं

यह मौका कुछ खास है
विवाह की पाँचवी वर्षगांठ है
इन वर्षो के अनुभव लाजवाब है
दो परिवारों का इसमें अभिदान है
एक दूसरे का साथ हो रहा बलवान है
समय की यही पहचान है
दोनों की एक दूजे पर छवि अंकित है
पर मीठी नोक झोंक की क्रिया भी नियमित है
यह एक ऐसा पड़ाव है
जहाँ से नए सफर की शुरुआत है

Monday, December 2, 2019

...

कुछ मोमबत्तियो से फिर विरोध होगा
सडको पर कही भीड़ का फिर आक्रोश होगा
संसद में एक विवाद यह भी होगा
महिला सुरक्षा पर विचार थोड़ा और भी होगा

सजा नई कोई तय होगी
न्याय की तारिख की बात भी होगी
पर अँधेरे से अब वो थोड़ा और डरेगी
भीड़ में जब भी अकेली होगी तो बेचैन रहेगी
विश्वास न किसी अजनबी पर न अपनों पर करेगी
हौंसला तो स्वयं पर रखेगी पर संदेह दुनिया पर करेगी

उसके स्वाभिमान का खंडन अब जो और होगा
उसकी स्वतंत्रता का हनन अब जो फिर से होगा
उसके ह्रदय की ज्वाला से फिर ऐसा विध्वंस होगा
संसार अपने ही अस्तित्व का फिर वैरी होगा





Saturday, November 30, 2019

लोहपथगामिनीं


यह जो अंधेरो को चीर
रात्रि को पीछे छोड़
प्रकाश की ओर
सवेरे से मिलने को अधीर
अपनी  मस्ती में चूर
आगे बढ़ रही है लोहपथगामिनीं ।

हर स्टेशन पर है भीड़
भीड़ के चेहरे पर उम्मीद
यह जो हुई  कुछ समय की देर
जो खींची किसी ने  जंजीर
फिर भी यात्रियों का स्वागत भरपूर
करती जा रही है  लोहपथगामिनीं

न किसी से कोई होड़
बस अपने गंतव्य स्थान की ओर
बढ़ती जा रही यही लोहपथगामिनीं।