Saturday, September 28, 2013


J.W.Marriot एक पांचसितारा होटल जिसकी २४ मंजिल से पूरे  पुणे शहर का मनमोहक दृश्य हृदय को अभिभूत करता है.। एक  रात वहां  बैठे हुए जब शीतल  हवा वातावरण को और भी मंत्रमुग्ध कर रही थी , मेरी नज़र बार बार नीचे एक झोपड़पट्टी पर ही रुक रही थी।
न जाने क्यों उस समय दूर से दिख रहे उस झोपड़पट्टी में रह रहे लोगो में मुझे उस शांति का एहसास हुआ   जो उस वक़्त मेरे आस पास बैठे लोग जो हर रूप में संपन्न दिख रहे थे उनके जीवन में नहीं दिखा। और मैं   इसी सोच में पड गई  , जीवन का लक्ष्य २८  मंजिल पर   बैठ कर  लोगो के जीवन के  खोकले पन को  महसूस करना तो नहीं था । उस दिन पता नहीं क्यूँ   साईंकल पर बैठा एक व्यक्ति मुझे सबसे धनवान प्रतीत हुआ।
कभी कभी लगता है वो मनुष्य ज्यादा  सुखी है जिसे अभी आधुनिकता ने छुआ नहीं है।
इस नवीनता की बाड़ में जो मुर्ख बहा नहीं है शायद वही सबसे समझदार है।  इस भेडचाल में भी जिसने खुद को सइयत्त किए हुआ है वही सही अर्थो में जीवन प्रवाह कर रहा है। जिसके लिए कोई वास्तु तभी ज्यादा मूल्यवान नहीं होती जब वो दुसरे के पास हो , उसे हर बात और वास्तु का मोल  आरंभ से ज्ञात होता है।
उंचाई पर पहुचने का महत्व भी तभी है जब उस सफ़र को तय करने में इन्सान खुद को न हार जाए।
:) :) :) :)






No comments:

Post a Comment