Thursday, December 6, 2018

७ दिसंबर

विवाह की इस चौथी वर्षगांठ पर
जीवन के इस सुन्दर पड़ाव पर
आज भेंट  में तुमको मैं अपने कुछ शब्द देती हूँ
तुम यह न सोचना की यह  उपहार  तो आसान है
बस ये जानना की यह तोहफा वो सारे एहसास  है
शब्दों में ढलकर  जिनकी खुशबू शायद कुछ तुम तक भी पहुंचे
और तुम्हारे साथ होने की ख़ुशी जितनी मुझको है
कुछ तुम्हारे दिल में भी महके
साथ होने से तुम्हारे मुस्कुराहटें जगमगाती है
और जब भी दूर हुई तुम्हसे तुम्हारी याद बहुत सताती है

जितना है तुमको अपना माना
उतना तो खुद को भी नहीं पहचाना



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