Tuesday, December 2, 2014

मंजिल की अगर है पहचान तो
रास्ते भी मिल ही जाएंगे  
हिम्मत बस पहले कदम की चाहिए 
नए अनुभवों में लिपट फिर
नए सीख से महक फिर 
उस लक्ष्य तक की डगर सामने आएगी 
डर का दलदल भी आएगा 
इच्छाशक्ति जिसे पार करेगी 
डगमगाएगा कभी आत्मविशवास तो 
मंजिल की उम्मीद उसे संभालेगी 
सभी मुश्किलो से गुजर जो उभरेगा फिर 
वही एक मुकाम नया पाएगा 
सभी चुनौतियों से लड़ जो संवरेगा फिर 
वही एक उत्कृष्ट जीवन पाएगा ॥ 








Friday, September 12, 2014

बंजारे से जब पूछा

अस्थिरता है जीवन में,बहाव में क्या मज़ा है
दुनिया को खुद में समेटने से क्या मिला है
आकाश में उड़ते पक्षियों को टुकटुकाकर देखने में क्या रखा है
बढ़ते हुए कदमो से तो रुका हुआ रास्ता भला है
नदिया के बहते पानी ने किनारो को भी कभी कुछ दिया है

बंजारे से जब पूछा

चाँदनी रात में घूमने में क्या मज़ा है
सूरज की किरणों से लड़ने से क्या मिला है
सिमटे जीवन को बिखेरने में क्या रखा है
ऐसे जीवन से तो दंड भला है
पंछी की उड़ान ने आसमान को भी कभी कुछ दिया है

बंजारे ने तब बस इतना कहा

ऐसी ज़िन्दगी है मेरी और ज़िन्दगी जीने में सबसे बड़ा मज़ा है

Tuesday, September 9, 2014

देश का कैसे होगा सुधार
जब नेता बस ताने है आलोचना की तलवार 
विकास को कैसे बनाए मुद्दा 
जब नज़रो में है केवल सत्ता 
दोषारोपण के इस दौर में
मन में सबके बैर है 
कस रहा वह ही कटाक्ष है
दामन में खुद जिसके दाग है
उन्नति की बदली है परिभाषा 
स्वयं को उठाने के लिए दूजे को है गिराना 

जहाँ बन रहे है सभी समीक्षक 
वहां कैसे बने कोई प्रगति का उत्प्रेरक ॥ 

Friday, September 5, 2014

सुबह सुबह सड़क के गड्ढ़ो को पानी से भरा देखा तो लगा दिल्ली के सिर्फ गरज़ने वाले बादल कल रात कुछ बरस भी गए थे। दिन के चढ़ने के साथ साथ मेघो ने सूरज को घेर आसमान पर अपना अधिपत्य कर लिया था । धरती की तपन ने अब इनको भी विचलित कर बरसने पर मजबूर कर ही दिया था । ऑफिस से निकली तो हलकी हलकी बूंदों को तेज़ बौछार में बदलते देखा । आज ये बादल  धोका देने के इरादे से नहीं आए थे । इतने दिनों से आँख मिचौली खेलते मेघो ने आज खुल कर पानी गिराने का निश्चय कर लिया था। इस मूसलाधार वर्षा के कारण सड़क पर होने वाला कीचड़,हर पग पर रुका हुआ ट्रैफिक और बारिश में तर पूरा जनजीवन,ये दिल्ली शहर के लिए एक दुर्लभ सा दृश्य बन गया था इस वर्ष ।

Wednesday, August 20, 2014

जीवन का तज़ुर्बा

वो बन कर बिखर कर फिर सवंरा है
गर्दिशों में खोकर फिर चमका है 
वो बहक कर गिर कर यूँ संभला है 
बंधनो से खुल कर उड़ कर कुछ निखरा है 
उसने दुःख में भी पाया और सुख में भी खोया है 
ज़िन्दगी के हर पहलु को कई नज़रियों से देखा है 
वो हर मोड़ पर भटक कर यहाँ पहुंचा है 
तुम कहते हो इसे बुढ़ापा 
वो कहता इसे जीवन का तज़ुर्बा  है । 



Sunday, August 10, 2014

राखी

न धर्म में बटीं
न सरहद से रुकी
राखी हर पार चली ।
रंग बिरंगे धागो से
एक रिश्ते की डोर बंधी  ।
भेंटों से सजी
वचनो में गठी
राखी की यह रीत चली ।







Monday, July 21, 2014

लहरें

नदी की लहरों ने किनारे को छूं कर कहा
इस ओर आना इतना सुहावना भी नहीं है
और उस ओर रहना इतना मुश्किल भी नहीं था
फिर भी बहना है मुझे कुछ इस तरह की
छूने है मुझे सभी किनारे

नदी की  लहरों  ने किनारे को छूं कर कहा
हमेशा किनारे पर पहुचने पर वो मज़ा नहीं है
कभी कभी बीच में ही खो जाना भी सजा नहीं है
उस छोर से इस छोर के सफर में
सिमटी है मुझमे कितनी ही कहानियाँ

नदी की लहरों  ने किनारे को छूं कर कहा
मेरे इस उफान में
एक अनचाहा बहाव है
वरना यूँ विचलित रहना
मेरा स्वभाव नहीं हैं






Friday, May 16, 2014

इस बार की सरकार

जो अब तक था केवल संवाद में
कल हो जाएगा यथार्थ में
बदलाव की आवश्यकता से
अभिज्ञता का विजयोल्लास है
ये प्रतीक्षित परिणाम
उन्नति का उत्तरदायित्व हो
स्पर्धा न हो किसी से अब
मित्रता हो प्रगति से अब
स्पष्टता  और निष्ठां
से नए भविष्य का निर्माण हो

और इस निर्णय से किसी की न हार हो ।



Wednesday, May 14, 2014

छोटे छोटे रास्तो की मंजिल कहीँ दूर है
दबी हुई आहटो मे भी कोई  शोर है 
शाम ऐसे चल रही जैसे भोर यहीं पास है 
पुरानी कहानी मे जैसे जुड़ रही नई डोर है 
धुँधला रहे कुछ पन्ने मिट रहे कुछ किस्से 
बुन रहे कुछ सपने बन रहे कुछ अपने
कुछ सहमी कुछ सकुचि कुछ ठिठकी
कुछ हंसती कुछ खिलखिलाती
आशाओ का यह  दौर है 

आरम्भ था कही और अन्त कहीँ और है । 








Friday, March 28, 2014

I am an Ex Infoscion now :)

Exactly 3.5 years and i'll not say it seems like yesterday .Every moment of these 3.5 years counted and there is  more than that can be accommodated in this time.
From Mysore to Hyderabad to Pune there is a different story and so many chapters in these stories.
New places, new people, new experience and with all this I got to know someone better and that someone was ME.
Never charmed by magnificent Mysore campus but so much disheartened by village life of Hyderabad that i finally found a life in Pune. There were disappointments ,there were failures and there were friends and there was family.
To fight a battle which no one was aware of.
Love that was never meant to be but friendship that will stay forever.
And then there was so much to learn,to improve,to achieve,to embrace,to love,to live and to enjoy.
To discover a new perspective,new ways,new ideas and a new life.
To find a new person within yourself,to nurture it and to feel proud of it.
To realize the importance of old ones and find happiness with new ones.

A journey worth taking,a journey different of all the times ...

Saturday, March 15, 2014

होली

होलिका दहन कि रीत कहे
सच्चाई की ही जीत रहे ।

रंगो से यह त्यौहार सजा
हर जगह अबीर गुलाल उड़ा ।

चाहे गोरा है या काला है
हर कोई आज रंगीला है ।

हवा भी लगे मतवाली है
शायद इसने भी भंग चढ़ा ली है ।

होली में न कोई दीवार रहे
आओ मिलकर सब झूमे  ।

आज तो हुड़दंग मचानी है
बुरा न मानो होली है ।




















Friday, March 7, 2014

On This WOMEN's DAY

Every year on this day one thing that comes to my mind is
Why don't we celebrate Men's day in the same spirit in which we celebrate Women's day.I doubt how many people are even aware of this fact that "Men's Day" does exist and it is on 19 November.Does this celebration imply that there is just one day meant for women and is this  again not one kind of discrimination OR is it really a way of celebrating for her economic,social and political achievements.Does this day show that she is a weaker section that needs special day to make a place in this male dominated society or is it to honor this wonderful being.
Whether the world wants to burden her with this act of gratitude so that she could easily make all the sacrifices with a smile or really wants to commemorate her success.
Is this day meant to appreciate and acknowledge her or to empathize with her.
Is she just special for this one day or is it a promise of love and respect to her for rest of the year??

Thursday, March 6, 2014

सर्दिओं की एक उजली सुबह

आज जब वर्षो बाद अँधेरे को उजाले में लिप्त होते देखा तो सुबह के  अद्धभूत  सौंदर्य को   अनुभव किया ।
सर्दिओं की  वो हड्डीओ को कड़कड़ाने  वाली सुबह,वह मंत्रमुग्ध करने वाली प्रकृति की  प्यारी अठखेलियाँ आज जैसे पहली बार देखी हो । आज कोई सबसे सुन्दर वस्तु के बारे में पूछे तो मैं कहूँगी ठंडीयो  कि सुबह में हरे भरे खेत खलिहान ,कोहरे में मासूमियत से  धुप  का  इंतज़ार करते हुए वो पेड़ और  उनकी मनमोहकता । कितनी सौम्यता है इस दृश्य में ,कितनी शीतलता है इस आने वाली नए दिन  में ,कितनी ताज़गी है इस हवा में । एक अलग  सी ऊर्जा देता है यह  वातावरण । शांति है पर फिर भी प्रकृति की  यह  मौनता अकेला प्रतीत नहीं होने देती बस सुबह  के साथ आने वाली रौशनी की  उम्मीद  देती है ,इस भोर के आगमन  के साथ सुंदरता के रंग  बिखेरती जाती  है और हृदय को हर्षो उल्लास से भर  देती है  । कही खाली मैदान है तो कही फसले जो शायद काफी पहर पहले से ही इस सवेरे के इंतज़ार में  है ,वह सवेरा जो इन्हे फिर से लहलहाने का अवसर देता है  और  मग्न होकर झूंमने  का आनंद देता है ।
 इसीलिए शायद कहा गया है कि स्वर्ग है तो प्रकृति कि गोद में ।

Sunday, March 2, 2014

उस नारी का अपमान
इस समाज कि  दुर्बलता है
उसकी विवशता
इस देश की कुव्यवस्था है
उसकी खंडित महिमा
संस्कृति का विध्वंस है

उसकी प्रगति सह नहीं पाया
ये पुरुष प्रधान समाज
इस बात का यह प्रमाण है
हीनता इस व्यवस्था कि है
जहा मुस्कुराता अपराधी
और शर्मिंदा पीड़ित है

गलती उसकी नहीं
किसी को वह उत्तरदायी नहीं
अब विनाश कि होगी ये पुकार
अगर अब भी न चेता संसार ।






Friday, January 17, 2014

Life Of an IT Engineer

कभी signal के बीच रुकी हुई।
कभी 9 से  6 में बटी  हुई।
कभी onsite की तिकड़म  में लगी हुई।
कभी rating  की  चिंता में बुझी   हुई।

कभी salary को रोती  हुई।
कभी Disc की  भीड़ में खोती हुई।
कभी homesick होती हुई।
कभी hotels में स्वाद लेती हुई।

कभी weekend का इंतज़ार करती हुई।
कभी monday को उदास होती हुई।
कभी workload में दबी हुई।
कभी bench पे ऊंघती हुई।

पर फिर भी PROUDLY खुद को ENGINEER कहती हुई ||