उस नारी का अपमान
इस समाज कि दुर्बलता है
उसकी विवशता
इस देश की कुव्यवस्था है
उसकी खंडित महिमा
संस्कृति का विध्वंस है
उसकी प्रगति सह नहीं पाया
ये पुरुष प्रधान समाज
इस बात का यह प्रमाण है
हीनता इस व्यवस्था कि है
जहा मुस्कुराता अपराधी
और शर्मिंदा पीड़ित है
गलती उसकी नहीं
किसी को वह उत्तरदायी नहीं
अब विनाश कि होगी ये पुकार
अगर अब भी न चेता संसार ।
इस समाज कि दुर्बलता है
उसकी विवशता
इस देश की कुव्यवस्था है
उसकी खंडित महिमा
संस्कृति का विध्वंस है
उसकी प्रगति सह नहीं पाया
ये पुरुष प्रधान समाज
इस बात का यह प्रमाण है
हीनता इस व्यवस्था कि है
जहा मुस्कुराता अपराधी
और शर्मिंदा पीड़ित है
गलती उसकी नहीं
किसी को वह उत्तरदायी नहीं
अब विनाश कि होगी ये पुकार
अगर अब भी न चेता संसार ।
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