देश का कैसे होगा सुधार
जब नेता बस ताने है आलोचना की तलवार
विकास को कैसे बनाए मुद्दा
जब नज़रो में है केवल सत्ता
दोषारोपण के इस दौर में
मन में सबके बैर है
मन में सबके बैर है
कस रहा वह ही कटाक्ष है
दामन में खुद जिसके दाग है
उन्नति की बदली है परिभाषा
दामन में खुद जिसके दाग है
उन्नति की बदली है परिभाषा
स्वयं को उठाने के लिए दूजे को है गिराना
जहाँ बन रहे है सभी समीक्षक
वहां कैसे बने कोई प्रगति का उत्प्रेरक ॥
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