Friday, December 30, 2011

I believe true happiness is hidden in bringing a smile on the faces of others especilally those who really need it.
I have got to know that the meaning of celebration differs for all.
I have understood that not all are worthy of your anger.
I have realised that dreams can only be shared with a very few people.
I have learnt that not all can be trusted and being trusted by someone is one of the most respectable thing.
I have heard that being in love is the most beautiful and the dangerous thing that can happen to you.
I have experienced that isolation lets you  know someone better and that someone is 'YOU'.
I have seen that sometimes BEING STRONG is the only option you have.

And i feel ...............................................................................





Friends

People come and go away
but true friends do stay forever
Every dream they share
for every tear they care
They can hear your silence
and can read your eyes
They know all your lies
and the biggest mistakes of your life
Every desire has a meaning for them
and every problem has a solution with them
Their worries are a tension for you
and smile means happiness to you
Your biggest support
and the most meaningful critics
The simplest answer
to the most complex question

They give the reason to smile
and their absence makes you the loneliest of all.



Thursday, December 29, 2011

"For all those days prepare
and meet them ever alike
when you are the anvil bear
when you are the hammer strike"

Tuesday, December 27, 2011

किसी अपने की आज बड़ी कमी सी है
इन आँखों में थोड़ी नमी भी है

अब निगाहों में बस वो पल है
जिनमे कुछ दोस्त है और हम है

कोई इंतज़ार इतना लम्बा भी होगा
ये  कभी सोचा तो नहीं  था

किसी लम्हे में सिर्फ हम और तन्हाई हो
ये भी  कभी होता तो नहीं  था

दिल का कोई अरमान
कभी अधूरा रहता तो नहीं था


किसी पे ये विश्वास
ऐसा डगमताता तो नहीं था

वापस अपनी ज़िन्दगी में
जाने की बस एक तमन्ना सी है

फिर से कुछ पालो को
जीने की ख्वाइश सी है








Monday, December 26, 2011

इस सही और गलत के  भवर के  पार
चाहे और अनचाहे सवालो से दूर 
इस सोच के समंदर के उस तरफ 
एक ज़िन्दगी का उगता हुआ सूरज है 
कुछ उमंगो के खिलते हुए फूल है 
एक सपनो की बगिया है 
आशाओ की ऊँची सी उड़ान है 
एक नई सी सुबह है 
एक ताजगी की महक है 


Saturday, December 24, 2011

किसी को पसंद है उजाले
तो किसी को ख्वाइश है अंधेरो की |

किसी को छूना है असमान को
तो किसी  की चाहतो में बस  ज़मीन है |

किसी को चमकाना है सितारे की  तरह
और किसी को खो जाना है गुमनामी में कही  |

किसी को रौशनी की उम्मीद है
और किसी को चमक से ही चुभन है |

किसी को सपनो की तलाश है
और किसी की सपनो की उड़ान है |










ज़िन्दगी खुद से ही जुदा हो रही कुछ ऐसे
चांदनी चाँद से खफा हो रही हो जैसे |
जो ख्वाबो में ही खुद से जुड़ा करती थी कभी
वो क्यूँ खुली आँखों से खोने लगी है अभी |

जिन जवाबो को तयार खड़े रखा था
सवाल उनके ही अब धूद्लाने लगे |
इस अकेले रस्ते पर चलते हुए
कुछ लोग  अब रास आने लगे |


पलकों की इस मुंडेर से
सपनो की चिडिया क्यूँ  उड़ाने लगे |
किसी बहाने से
इन आंसुओं को क्यूँ  छुपाने लगे |

नखरो की इस भाषा में
प्यार को क्यूँ  खोने लगे |
सिसकियो को नहीं समझे क्यूँ
और उन मुस्कुराहटो में बहने लगे |

तमन्नाओ के इस भवर में
अपेक्षाओ को क्यूँ  भूलने लगे |
अशाओ के इस समंदर में
निराशाओ को क्यूँ  खोजने लगे |


Friday, November 11, 2011

....

वो आने वाला पल
जो सदियो सा लम्बा है |
व़ो बीती हुई सदिया
जो पल से भी छोटी है |
क्यूँ प्यारी सी वो
बीती हुई कहानी है |
और क्यूँ अलग सा ये
आगामी सफ़र  है |
क्यूँ भाग रहे पीछे
एक मृगतृष्णा के |
और क्यूँ छोड़ रहे
पीछे वास्तुता को |

Tuesday, November 8, 2011

तो क्या बात हो

कुछ सपने की तरह
गुज़र जाए ये ज़िन्दगी तो क्या बात हो |

कुछ आंसुओ की तरह
बह जाए ये मुश्किले तो क्या बात हो |

पलक झपकते ही बदल
जाए ये कहानी तो क्या बात हो |

मंजिलो के मिलने में खो जाए कही
रास्ते  से  बिछड़ने का गम तो क्या बात हो |

दिल चाहे जो मिल जाए  वही
तो क्या बात हो |

थोड़ी सी खट्टी और बहुत सी मीठी
हो हर ज़िन्दंगानी तो क्या बात हो |




Thursday, October 20, 2011

रंग

जितने रंग है इन्द्रधनुष के
उससे भी ज्यादा रंगों में है इन्सान  यहाँ |

फासला बस एक समझ का है
न कोई सही न कोई गलत यहाँ |

विश्वास जो जीत सके
वही अपना  है यहाँ |

विचारधारा किसी की
कभी मिलती है कहा |

सोच सबकी इतनी
जुदा सी है |

जीने का अंदाज़ भी
इतना नया सा है |

उचित अनुचित
कुछ भी नहीं है यहाँ |

अगर इक दूजे के लिए
दिल में सही है वजह |

Sunday, October 16, 2011

कुछ नई पंक्तिया

1.हर एक गम का किनारा नहीं होता
   हर तरफ ख़ुशी का नज़ारा नहीं होता
   बीत जाए ये लम्हे कुछ ये दुआ है हमारी
   क्यूंकि हर बार वक़्त हमारा नहीं होता


2.जिंदगी ने जिसको जो जमीन बाटी
   उसको वही रास न आई
   जिसका जो सपना था
   वो किसी और ने ही जिया
   राहें तो कभी मेरी भी मुश्किल न थी
   फिर रास्ता तेरा ही क्यूँ हमेशा असान लगा


3.कुछ ख्वाब  जो   पलको की खिड़की से है झांकते
   कुछ सिसकियो  जो आवाज़ का दामन ही नहीं है थामती
   कुछ दायरे जो दायरों में ही नहीं है सिमटते
   कुछ खामोशियाँ जो आइने से  है ताकती




  

Saturday, October 15, 2011

........

ये उड़ान आसमान  को छूने की नहीं
अपने पंख फ़ैलाने की एक कोशिश   है
ये बदलाव प्रगति के लिए नहीं
स्थिरता को पाने की एक उम्मीद है
ये दौड़ समय से आगे निकलने की नहीं
समय के बीच  में बहने की एक कामना  है
एक इच्छा है
बिखरे हुए पलो को समेटने की
एक अभिलाषा है
पलको पर रखे हुए सपनो को जीने की
एक आशा है
इन सपनो की उड़ान भरने की






Wednesday, September 28, 2011

सोच की खोज

अपने ही विचारो के  मंथन में
जीवन  को समझने के चिंतन में
एक प्रतिबिम्ब सा दिखा मुझे
हाँ ये  परछाई  है मेरी ही अकांक्षाओ की
एक  गहराई  में उतरना है
जिसकी  सतह भी है अभी अनछुई
इस अथाह महासागर में खोजना है
अपने ही मन  के  रहस्यों  को
एक लहर सी है इन विचारो की
एक उथल पुथल सी है कुछ सवालो की
एक  अंतकर्ण को अब छूना है
अपनी ही सोच को अब समझना है







Monday, September 19, 2011

कुछ बातें जो मन चाहे


ज़िन्दगी के घुमावदार रास्तो में
अब कही खोने का मन करता है|
एक लम्बी सी  सपनो भरी नीद 
अब सोने का मन करता है|
समय के पन्नो को
अब पीछे पलटने का मन करता है|
वो कुछ पुराने दिन
अब  दोबारा  जीने का मन करता है|
इस लम्बे सफ़र में कहीं
अब कुछ देर रुक जाने  का मन करता है |
कुछ अनकही सी बातो को
अब कहने का मन करता है|
इन गुजरतो हुए पलों में
अब कही बहने  का मन करता है|





Wednesday, September 14, 2011

life....

I have learnt that friends cannot be perfect but frienship can be.
And the perfectness of friendship is to see through the imperfections of each other.

I have understood that life changes in a way that can never be anticipated.

I have come to know that no matter how much we have to regret
but cannot refrain ourselves from making some mistakes.

I have realised that people will have different opinions
and it will be difficult to respect them.

I have noticed that  happiness and unhappiness lies in vicious circle.

I have seen that most of the times sweetness of a person is utilised by shrwedness of another.

I have experienced that there are things that just happens.


I feel the most difficult thing is to find a real friend with whom you can share your life



And I believe that there will always remain some emotions unexpressed,some things unsaid and some posts  unpublished.










बदलता सा समय

समय ये भी अलबेला है
जाने खेल  कैसे खेला है |

कभी बह गया ये आँखों से पानी बन कर
कभी छलक गया ये अधरों पर  मुस्कान बन कर |

कभी वो काले मेघ जो गम के थे
बरस गए दरिया जहा सुख का था |

कभी एक झीनी सी उम्मीद की किरण से
सूख गया वो दलदल जो दुःख  का था |

कभी सपने जो शीशे से साफ़ थे
धुंदला दिए वो बदलाव के थपेड़ो ने |

कभी अभिलाषाए जो गुमसुम सी थी
चहक उठी एक पल से ही |

समय  ये भी अलबेला है
जाने खेल कैसे खेला है |





Wednesday, August 24, 2011

.......

वक़्त वो भी गुज़र गया
वक़्त ये भी गुज़र जाएगा
बस छोड़ जाएगा निशाँ
कुछ आंसुओं से भरे हुए
तो कुछ मुस्कुराहटो से खिले हुए
कभी उसका हिस्सा हम होंगे
तो कभी हमारा किस्सा वो होगा
कभी हम कहेंगे एक कहानी
तो कभी वक़्त सुनएगा दस्ता हमारी
वक़्त वो भी गुज़र गया
वक़्त ये भी गुज़र जाएगा 

Monday, August 15, 2011

dedicated to those little children who made me realise how easy life is for us


मन में है आरजू
इन आँखों के दर्द को कोई तो पड़ ले.
दिल में उठे तुफानो को कोई तो रोक ले
आँखों की चमक की
आवाज़ की खनक की
कोई तो फरियाद करे
उस भीगे हुए आँचल का मोल कोई तो समझे
उस मुस्कान के पीछे की तड़प को कोई तो देखे
उन मुरझाए हुई उमंगो को कोई तो अपनाए
उन खोए हुए तरंगो को कोई तो लौटाए
उस मायूसी  की कीमत कोई तो चुकाए
इन सवालो के जवाब  कोई तो दे जाए







Sunday, July 3, 2011

क्यों

क्यों कभी गुजरता नहीं एक दिन ही
और क्यों कभी आँखों से ओझल हो जाता है एक साल भी

क्यों कभी जीवन में पीछे लौटने से
ज्यादा कठिन है आगे बढना ही

क्यों उन उनुपस्तिथियो की
उपस्तिथियो से इतना कष्ट है कभी  

क्यों पलो के बीत जाने के बाद ही  
है एहसास उनकी  अहमियत का भी

क्यों कभी जो कहा नहीं
वही कोई समझे आशा है इसी की

क्यों जो जरूरी है कभी
वही है सबसे अनचाहा  भी

क्यों जिनसे कभी कोई ख़ुशी न थी
गम है उनके जाने का भी

और क्यों दूर है जो
उन्ही के पास होने की है अभिलाषा भी












Sunday, June 26, 2011

....

जीवन के उतार चड़ाव में
खोए हुए रास्तो की तलाश में
सामने खड़ी मंजिल से तुम मिल नहीं पाए.

बहे हुए अश्रु  की परिकल्पना  में
ग़ुम हुए अपनत्व की  प्रतीक्षा  में
मुस्कुराती हुई ख़ुशी से तुम मिल नहीं पाए

किसी  चिंता में खोकर
व्यथित हृदय से रोकर
उस संतोषी जीवन से तुम मिल नहीं  पाए

सत्य से विमुख हो और
तुम  दुःख  के  समुख हो .

इस  नश्वर  संसार में
तुम खोज रहे अमरत्व  हो .

इस संताप से  हटाव के लिए
तुम अवज्ञा कर रहे उस वरदान की हो .

तुम उपेक्षित हो नहीं
तुम अवहेलना कर रहे संसार की हो .


.









 






Friday, June 17, 2011

पल बीते हुए


जीवन सागर में वो बूँद  बराबर
पल ही तो अनमोल है .
उन मधुर  स्मृतियो में जो सम्मोहन है
वो ही तो बांधे अब  तक  एक डोर है .
वो समय  जो बीत चला
उसमे ही तो सपनो का कोष है .

वो मनोभाव जिन्हें कभी शब्दों
में पिरोने की आवश्यकता न थी.
वो सुन्हेरे एहसास
जिनकी कोई अभिव्याक्ति न थी
और वो  समय से आगे बड़ने की
जब कोई महत्वकान्षा न थी .

उन्ही अमूल्य क्षड़ो  में है जैवज्योति सारी.
और उन्ही पलो में बिखरी  है मुस्कान सारी.