Wednesday, February 4, 2015

मेरी पहली बर्फ़बारी

         
         
 धरती ने पहना आज सफ़ेद चोगा है 
 हर ओर प्रकृति की कला का दिव्य नज़ारा है 
 बर्फ के इस आवरण में पर्यावरण और भी मनोहर है 
 सौम्यता की बेला में सुंदरता बिखरी हर दृश्य में है 
 सफ़ेद वस्त्रो में वृक्ष् भी कैसे इठला रहे है
 सजी है सृष्टि ऐसे जैसे कोई त्यौहार मना रहे है  

 पर यत्र तत्र सर्वत्र 
 सिर्फ बर्फ का ही अस्तित्व है 
 इस लगातार गिरती बर्फ से 
 जनजीवन कुछ तो विचलित है 
 ढूँढ रहा हर जीव अपना ठिकाना है 
 इस सफेदी का साथ जाने कब तक निभाना है 

मंत्रमुग्ध करता है वातावरण 
पर सामान्य जीवन बाधित है 
प्रकृति की यह है कोई पहेली 
या शायद कोई अपनी हंसी ठिठोली है 














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