आज उन्हें समझ पाए है तुम्हारे बचपन से
समय का चक्र है घूमा
अपने बालपन को तुम्हारे बालपन से किया पूरा
तुम्हारी आदतों में थोड़ा अपने स्वाभाव को जो मैंने पाया
स्वयं को निखारने की प्रेरणा को प्रबल बनाया
जुड़ गए है जीवन में कितने आयाम तुमसे
इंद्रधनुष में सात से ज्यादा रंग हो ऐसे
स्वतः की एक सतह को और पहचाना
सिक्के के दुसरे पहलु को जाना
जब से जीवन में तुमको है पाया
मेरा बचपन जैसे फिर से मुस्कुराया
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