Saturday, November 30, 2019

लोहपथगामिनीं


यह जो अंधेरो को चीर
रात्रि को पीछे छोड़
प्रकाश की ओर
सवेरे से मिलने को अधीर
अपनी  मस्ती में चूर
आगे बढ़ रही है लोहपथगामिनीं ।

हर स्टेशन पर है भीड़
भीड़ के चेहरे पर उम्मीद
यह जो हुई  कुछ समय की देर
जो खींची किसी ने  जंजीर
फिर भी यात्रियों का स्वागत भरपूर
करती जा रही है  लोहपथगामिनीं

न किसी से कोई होड़
बस अपने गंतव्य स्थान की ओर
बढ़ती जा रही यही लोहपथगामिनीं।   

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