Saturday, November 30, 2019

लोहपथगामिनीं


यह जो अंधेरो को चीर
रात्रि को पीछे छोड़
प्रकाश की ओर
सवेरे से मिलने को अधीर
अपनी  मस्ती में चूर
आगे बढ़ रही है लोहपथगामिनीं ।

हर स्टेशन पर है भीड़
भीड़ के चेहरे पर उम्मीद
यह जो हुई  कुछ समय की देर
जो खींची किसी ने  जंजीर
फिर भी यात्रियों का स्वागत भरपूर
करती जा रही है  लोहपथगामिनीं

न किसी से कोई होड़
बस अपने गंतव्य स्थान की ओर
बढ़ती जा रही यही लोहपथगामिनीं।   

चंपक

एक शाम स्टेशन पर देहरादून जाने वाली गाड़ी  का इंतज़ार करते समय जाने कैसे बचपन में पढ़े जाने वाली चंपक की चर्चा निकल आई। फिर क्या था  मौके और दस्तूर को समझते हुए मेरे पति मेरे लिए चंपक खरीद लाए।
पहले तो मुझे  थोड़ा आश्चर्य हुआ की आज के समय में जहाँ  ९०के दशक की सभी वस्तुएँ  विलुप्त सी  हो गई है (जैसे कैसेट ,हमारे बचपन के खेल) वहां चंपक आज  भी अपना अस्तित्व बनाये हुए  दुकानों पर उपलब्ध है।
जैसे आज के समय के बच्चो के पास अपना ऐमज़ॉन  और नेटफ्लिक्स का सब्सक्रिप्शन होता है ,मेरे बचपन में मेरे पास चंपक का सब्सक्रिप्शन हुआ करता था।
हर माह २ चम्पक निकलती थी जो अख़बार वाला मुझे दे जाता था।   मैं वह पुस्तक हाथ में आते ही सब कुछ भूल कुछ ही घंटो में उसे पूरा पढ़ लेती और फिर बेसब्री से माह के अगली प्रकाशन का इंतज़ार करती। उस दिन चंपक हाथ में आते ही बचपन की वह सब स्मृतिया जीवंत हो उठी।  पर मन में आज के दौर में इस किताब  की  महत्वता  को लेकर सवाल जरूर आया। स्टेशन की भीड़ और गर्मी को भूलाने के लिए  मैंने  चंपक  कुछ देर को पढ़ने  का निर्णय लिया।  मुझे खुद पर अचरज हुआ की कैसे हर नए पन्ने के साथ मेरा उत्साह बढ़ता जा रहा था।
मुझे आभास हुआ की भले ही चंपक के रूप में बदलाव आ गया हो पर सरचना अब भी पहले की तरह ही है।
अपने बचपन में तो मैं बस पढ़ने में आनंद लेती थी ,लेकिन अब  मुझे एहसास हुआ की इन सरल सी कहानिओ के माध्यम से छोटे बच्चो को कुछ सीख देने का प्रयत्न किया गया है। कितनी सीधी और निष्कपट बातें।
कहानियां ,कार्टून,चुटकुले ,बूझो  तो जाने ,बिंदु जोड़ कर आकृति बनाने वाले खेल ,यह सब कुछ  मिल कर चंपक बनी थी। इसमें थी ज्ञानवर्धक बातें ,बच्चो द्वारा दिए गए हसीं  के  झरोके(चुटकुले) ताकि उन्हें भी अवसर और प्रोत्साहन मिले।
जमाना पूरा बदल गया है पर चंपक का आरूप आज भी स्थिर है।
टिक टोक ,इंस्टाग्राम में खोये बचपन के पास अब भी मौका है चंपक की रंगीन दुनिया में खोने का।