Friday, April 7, 2017

बदलाव जीवन के विद्यालय की कक्षा नई है
रात्रि से सीख ले जो उजाले में बढ़ चले गुणी वही है
उदासी और उत्साह की अलग सी आंख मिचौली है
यादें खींचे बीते समय में है
तो महत्वकांशाए आकर्षित  करती आगामी  समय में है

सुगंधित अतीत है तो प्रकाशित भविष्य है
अभिलाषा उस सुगंध की है
और स्वपन उस सुनहरे प्रकाश का  है
अंत और आरम्भ साथ चल रहे है
अनुभवों के साथ लालसाए भी उभर रही है

विचारो की भी यह अपनी मनमानी  है
कभी खोल बैठे कहानियो के पिटारे है
तो कभी बुने सपने हज़ारो है
चित्त की अलग ये नाइंसाफी है
एक पल में ठहरने की ललक पुरानी  है

समयचक्र भी अद्धभूत पहेली है
नर्धारित हर अध्याय की अवधि है
पर  घटनाक्रम अनिश्चित है
विशेषता है हर वक़्त की
स्वयं की अहमियत जताने की
बहुत कुछ सीखाने की
और फिर हौले से बदल जाने की |















1 comment:

  1. बहुत बढ़िया। परिवर्तन ही शाश्वत है ☺।

    ReplyDelete