Monday, July 21, 2014

लहरें

नदी की लहरों ने किनारे को छूं कर कहा
इस ओर आना इतना सुहावना भी नहीं है
और उस ओर रहना इतना मुश्किल भी नहीं था
फिर भी बहना है मुझे कुछ इस तरह की
छूने है मुझे सभी किनारे

नदी की  लहरों  ने किनारे को छूं कर कहा
हमेशा किनारे पर पहुचने पर वो मज़ा नहीं है
कभी कभी बीच में ही खो जाना भी सजा नहीं है
उस छोर से इस छोर के सफर में
सिमटी है मुझमे कितनी ही कहानियाँ

नदी की लहरों  ने किनारे को छूं कर कहा
मेरे इस उफान में
एक अनचाहा बहाव है
वरना यूँ विचलित रहना
मेरा स्वभाव नहीं हैं