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"Righteousness at heart brings beauty in character,beauty in character brings harmony at home,harmony at home brings order in the society,order in society brings peace in the nation" A.P.J.Abdul Kalam
Saturday, August 31, 2024
तुम्हारा बालपन
Friday, December 31, 2021
नया साल
जो यह मौसम बदलते है
जो यह नए साल जुड़ जाते है
पुरानी कहानिओ को फिर
शुरुआत से तो बताते है
एक उत्साह तो नया लाते है
ताज़गी के अहसास से फिर
उम्मीद की सुगंध तो फैलाते है
एक जज़्बा तो नया जगाते है
धूमिल हो रहे प्रणो को फिर
बुलंदी पर तो पहुंचाते है
ख़ुशी मानाने का बहाना तो नया दे जाते है
जब यह मौसम बदलते है
जब यह साल नए जुड़ जाते है
Friday, May 14, 2021
प्रथम पृष्ठ
अन्वय के बालपन ने एक नया उत्साह जगाया
और समय के पंख लगाकर उड़ जाने की फिर बात उठाई
Wednesday, December 2, 2020
६
इस वर्ष का नया अंदाज़ हुआ
थोड़ी कोरोना की मार और अपरिमित नव जीवन का उल्लास हुआ
रिश्तो के समीकरण में बदलाव हुआ
पत्नी और पति को अब माता पिता के कर्तव्यों का आभास हुआ
नूतन जिम्मेदारियो के समक्ष
सम्बन्ध अधिक गहरा हुआ
जड़ से मजबूत वृक्ष में
फल भी अत्यंत मीठा हुआ
खुशियों की किलकारियों से रंगीन
छठी वर्षगांठ का यह उत्सव हुआ
अन्वय
तू कुछ कुछ है हम दोनों सा बन रहा हमारा हृदय
तू है प्रतिरूप दो परिवारों का यह तेरा परिचय
तू रहे भावपूर्ण चाहे बीते जितना समय
तू हो ऐसे व्यव्हार से बना सदा हो जिसमे विनय
तू है हमारा अन्वय
Friday, December 6, 2019
हैप्पी Five
पाँच पंक्तियों में व्यक्त करना मुमकिन नहीं
लेकिन शब्दों की माला से उम्दा
कुछ भावो की अभिव्यक्ति नहीं
यह मौका कुछ खास है
विवाह की पाँचवी वर्षगांठ है
इन वर्षो के अनुभव लाजवाब है
दो परिवारों का इसमें अभिदान है
एक दूसरे का साथ हो रहा बलवान है
समय की यही पहचान है
दोनों की एक दूजे पर छवि अंकित है
पर मीठी नोक झोंक की क्रिया भी नियमित है
यह एक ऐसा पड़ाव है
जहाँ से नए सफर की शुरुआत है
Monday, December 2, 2019
...
सडको पर कही भीड़ का फिर आक्रोश होगा
संसद में एक विवाद यह भी होगा
महिला सुरक्षा पर विचार थोड़ा और भी होगा
सजा नई कोई तय होगी
न्याय की तारिख की बात भी होगी
पर अँधेरे से अब वो थोड़ा और डरेगी
भीड़ में जब भी अकेली होगी तो बेचैन रहेगी
विश्वास न किसी अजनबी पर न अपनों पर करेगी
हौंसला तो स्वयं पर रखेगी पर संदेह दुनिया पर करेगी
उसके स्वाभिमान का खंडन अब जो और होगा
उसकी स्वतंत्रता का हनन अब जो फिर से होगा
उसके ह्रदय की ज्वाला से फिर ऐसा विध्वंस होगा
संसार अपने ही अस्तित्व का फिर वैरी होगा