क्यों कभी गुजरता नहीं एक दिन ही
और क्यों कभी आँखों से ओझल हो जाता है एक साल भी
क्यों कभी जीवन में पीछे लौटने से
ज्यादा कठिन है आगे बढना ही
क्यों उन उनुपस्तिथियो की
उपस्तिथियो से इतना कष्ट है कभी
क्यों पलो के बीत जाने के बाद ही
है एहसास उनकी अहमियत का भी
और क्यों दूर है जो
उन्ही के पास होने की है अभिलाषा भी
क्यों कभी जो कहा नहीं
वही कोई समझे आशा है इसी की
क्यों जो जरूरी है कभी
वही है सबसे अनचाहा भी
क्यों जिनसे कभी कोई ख़ुशी न थी
गम है उनके जाने का भी और क्यों दूर है जो
उन्ही के पास होने की है अभिलाषा भी